‘सिन’ अर्थात पाप शब्द हिब्रू के 21वें अक्षर ‘शिन’ से आया है जिसका अर्थ थोड़ा कम … कोई भी चीज जो किसी को भी पूर्ण होने से कम कर देती हो वह इस पृथ्वी पर किया गया एक पाप है …
और, पूर्ण व्यवहार का कोई भी भाग जो किसी को पूर्णता से कम बनाता है, वह इस भूमि से मुक्त होने का तरीका है … यही है जो यहाँ साधने के लिए है … यह क्रोध, वासना या लालच हो सकता है … जो भीआहार या अभ्यास या जीवन शैली है जो किसी की अपूर्णता बरकरार रखती है, वही ‘पाप’ है, सिन है …