जब आप इस सांसारिक जाल का सत्य, इस समाज के भ्रष्टाचार, इसके अधिकारियों के बारे में, इसके नकलीपन का अनुभव करते हैं… और तब आप इस पृथ्वी की जेल की जंजीरों को खोलने के लिए सबसे पहले स्वयं अपने लिए प्रयास करते हैं… तभी असली क्रांति घटित होती है… न कि आप ने किसी और की बातें सुनी और जिसे वह विद्रोह कहते हैं उसका हिस्सा बन गए… पहले स्वयं के लिये करें…

“आप मुक्त मुक्त कर संसार नानक तिस जन को सदा नमस्कार”
“स तरति स तरति लोकांसतारयति”