नारायणपरा वेदा देवा नारायणाङ्गजाः।
नारायणपरा लोका नारायणपरा मखाः॥
नारायणपरो योगो नारायणपरं तपः।
नारायणपरं ज्ञानं नारायणपरा गतिः।।
वेद नारायण के परायण हैं। देवता भी नारायण के ही अंगों में कल्पित हैं और समस्त यज्ञ भी नारायण की प्रसन्नता के लिये ही हैं तथा उनसे जिन लोकों की प्राप्ति होती है, वे भी नारायण में ही कल्पित हैं।
सब प्रकार के योग भी नारायण की प्राप्ति के ही हेतु हैं। सारी तपस्याएँ नारायण की ओर ही ले जानेवाली हैं , ज्ञान के द्वारा भी नारायण ही जाने जाते हैं। नारायण ही परम् गति हैं।
December 30, 2022