अ-क्षय तृतीय-२
सोम के पान से ही महान लक्ष्य की- प्रभु जैसा ही बन जाने की सिद्धि सम्भव है…
यह महान लक्ष्य स्वयं सोम के रक्षण में सहायक होता है और रक्षित हुआ हुआ सोम हमें महान लक्ष्य (लक्ष्मी) को प्राप्त करने वाला बनता है…
सोम का रक्षण न होने से ही वृत्तियाँ उत्पन्न होती हैं…सोम रक्षण लक्ष्य प्राप्ति के लिए होता है…
सोम आहार से ग्रहण होता है, स्तुतिवाक्योँ से बढ़ता है और परम् लक्ष्य को प्राप्त कराने वाला होता है…