मधुर शब्द माधुर्य से भरा है, मधु से भरा है…मधु-र, मधु का अर्थ है शहद और र- कार, र- वर्ण का अर्थ है सूर्य का प्रकाश…स्वर्णिम सूर्य का प्रकाश, सूर्य का तेज…
मधु का वर्ण/रंग भी स्वर्णिम ही है, सुनहरा है…मधु का वैदिक अर्थ है सोम, अमृत जोकि मध्य-नाड़ी सुषुम्ना से उर्ध्वगति कर (ऊपर की ओर) देह के घट अर्थात सिर के मध्य सूर्य के तेज सी मणि को लेकर स्थापित होता है…यही गुरु प्रसाद रूप प्राप्त होने वाला अमृत है, जल है…
तो मधु-र का अर्थ हुआ जिस घट में सोम हो और सूर्य से तेज हो अर्थात ज्ञान प्रकाश उत्पन्न हो…इसी रहस्य को वेद ने मधु- विद्या कहा है…इसे प्राप्त करने की विद्या यही है…जो गुरु से प्राप्त होती है…इसीलिए कहा गया है-
“ये तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान, सीस कटाये गुरु मिले, तो भी सस्ता जान”
जो मधुर है उसी की वाणी प्रकाश (light language) से परिपूर्ण है जिसे आज के युग में light language के नाम से प्रचलित किया गया यद्दपि न तो मणि रहस्य (creation of seed) का भेद किसी को समझ आया, न ही मधु विद्या (creation of nectar of immortality) और न ही वर्ण विद्या (creation of divine symbology)…
जो यह रहस्य जानता है वही मधु-र है, पउरुष-उत्तम है, उसी में माधुर्य है, उसकी प्रकाशवान वाणी अंधकार को मिटाने वालो है, उसका सानिध्य पूर्णतः प्रदान करने वाला है…