यदि जीव आध्यात्मिक पथ पर प्रशस्त होना चाहता हो तो उसे तीन बातों के प्रति अति सचेत रहना चाहिये… वह निम्न तीन गलतियाँ आध्यात्मिक मार्ग पर चलते हुए न करे:
1. मात्र किसी एक अनुभव या अनुभवों को ही पूर्ण मान लेना और अनुभवों के बखान में ही लग जाना।
2. निरंतर नियमित अभ्यास न करना।
3. अध्यापक बन जाना या अब दूसरों को बताने में सलंग्न हो जाना।
ये तीन अत्याधिक अनिवार्य संकेत हैं क्योंकि आजकल हर कोई ज़रा सा अनुभव ले और दो किताबें पढ़ कर आध्यात्मिक टीचर या मास्टर बन बैठता है। परंतु ये उसके स्वयं की आध्यात्मिक उन्नति के लिये घातक सिद्ध होगा।