त्रिगुणात्मक पृथ्वी जगत काल-अधीन है…क्योंकि पार्थिव देह काल के पूर्ण प्रभाव में है…परन्तु जीवात्माओं के कालातीत होने का अवसर भी यहीं इसी जगत में उपलब्ध है…

शनि काल रूप है, जगत को नियमित रखने वाला है, न्याय और निर्णय देने वाला है… गुरु बृहस्पति विद्या और ज्ञान प्रदायक है…

सभी जीवात्माओं के लिए यही अवसर है और यही चुनाव है… आप किसका चुनाव करते हैं- काल या गुरु… अज्ञानी काल द्वारा नियमित सांसारिक परिस्थितियों द्वारा सीखते हैं, काल का सिखाने का माध्यम पीड़ा, यातना, दुःख है…और, फिर इसी जगत में गिरते हैं…

परन्तु, बुद्धिमान गुरु ज्ञान और शिक्षाओं द्वारा स्वयं को नियमित कर इस जगत में ही आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करते हैं…

चुनाव है कि आप काल (Tieme) से सीखते हैं या गुरु (Teacher) से…इस समय तो दोनों सामने प्रत्यक्ष हैं…

“अ-ज्ञानी वही है जो ज्ञान वि-हीन जीवन जीने का चुनाव करता है”

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