भारत, भारतवर्ष है, अर्थात पृथ्वी की सम्पूर्ण भूमि…और भारत का अर्थ है जो ‘भ’ में रत है..
‘भ’ वर्ण उत्तम सूत्र है, जोकि स्वर्गीय सिद्धांतों और नियमों के भू- मंडल पर अभ्यास को दर्शाता है…’भ’ ही यत पिंड तत ब्रह्मन्डे का वार्णिक स्त्रोत है…
भा-रत की सर्वश्रेष्ठ और उत्तम संपदा हैं- संस्कृति, ज्ञान और भोजन…
भारतीय होने का अर्थ ही है कि ब्रह्मांडीय नियमों का संस्कृति, ज्ञान और भोजन के रूप में पृथ्वी पर पार्थिव जीवन व्यतीत करते हुये अनुसरण करना…
जो ‘भ’ में रत है, वही भारतीय है अन्यथा अब तो सब इंडिया हो गया…
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Leena Baijal