awakening is not sleeping…
until the two eyes are not opened to the world where one lives, till then the third eye can never open…
spirit descends in this world to open eyes towards one’s own nature and to solve the labyrinth of life while keeping the two eyes open and maintaining ones vigor & vitality… not by closing the eyes to what all it is…
that’s why it’s called waking up, awakening and not sleeping…
जागरण, निद्रा नहीं है…
जब तक दोनोंआँखें दुनिया के लिए नहीं खोली जाते, जहां आप रहते हैं, तब तक तीसरी आंख कभी नहीं खुल सकती …
आत्मा इस दुनिया में अपनी प्रकृति की ओर आंखें खोलने के लिए और जीवन की भूलभुलैया को हल करने के लिए अधोगति प्राप्त करती है, दो आंखें खुली रखे हुए और अपने को तेज और जीवन शक्ति बनाए रखते हुए … न कि आंखों को बंद करके…
इसीलिए इसे जागृति, जागना कहते हैं और निद्रा नहीं …