आत्म निर्भर भारत, कृत्रिम न अपनायें (कृत्रिम- नकली/बनावटी)
आत्म- निर्भर (sol- dependent) का अर्थ है कि आप मात्र अपनी आत्मा, अपने स्व पर निर्भर हूँ…
स्व में देह, मन और आत्मा तीनों सम्मिलित हैं…
यदि आप आत्म- निर्भर हैं तो आपको देह के लिए किसी भी प्रकार के कृत्रिम भोजन (artificially produced food), कृत्रिम दवा (medi-sin), वैक्सीन (vac-sin) की आवश्यकता नहीं होनी चाहिये। प्रकृतिक पार्थिव देह, प्राकृतिक जीवन- शैली से ही आत्म- निर्भर हो सकती है न कि किसी कृत्रिम जीवन- शैली से।
यदि आप आत्म- निर्भर हैं तो आपको किसी भी कृत्रिम मानसिकता औऱ बुद्धिमत्ता (artificial intelligence) की आवश्यकता नहीं, मात्र ये बताने के लिए की आप अस्वस्थ हैं। आत्म- निर्भर बनें, आपको किसी स्वास्थ्य बताने वाले कृत्रिम सेतु की कोई आवश्यकता नहीं।
यदि आप आत्म- निर्भर हैं तो आप ज्ञान के माध्यम से जानते हैं आत्मा को कोई क्षति या हानि नहीं होती। आत्मा शाश्वत है। आत्म- निर्भर होने मात्र से ही आप निर्भय हो जाते हैं। सब प्रकार के भय से मुक्त, क्योंकि आप आत्म- निर्भर हैं और आत्मा केवल परम-आत्मा पर निर्भर हो सकती है न कि किसी कृत्रिम व्यवस्था पर, जोकि मात्र आपको भय में रखने, नियंत्रित करने और गुलाम बनाकर रखने में।
पूर्णतः आत्म निर्भर बनें।
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