इस त्रि-आयामी पार्थिव जगत में, प्राणी को विभिन्न परिस्थितियों, मुसीबतों और चुनौतियों के माध्यम से शारीरिक और भावनात्मक दोनों तरह से दंडित किया जाता है, जब तक कि वह सत्य बोलना आरम्भ नहीं करता… और, केवल परमेश्वर का नाम सत्य है, केवल उसका ज्ञान सत्य है, केवल उसका पथ ही सत्य-पूर्ण है…
यह जेल में बंदी एक अपराधी के समान है जोकि जब तक सच नहीं बोलता, तब तक उसे थर्ड-डिग्री के साथ टॉर्चर किया जाता है… सच बोलने मात्र से ही सभी परेशानियों से सुरक्षा हो सकती है… यही इस पृथ्वी का परम नियम है…
September 24, 2024