हमेशा ये सोचता रहा कि जब भी कोई गुरु या द्विज पार्थिव देह में हुआ तो उसे इस संसार में, इस समाज में कोई नहीं समझ पाया, उसे कोई नहीं अपनाता, उसके जीवन काल में विरोधाभास, परंतु जीवनोपरांत उसी के लिए रोना, उसी की शिक्षाओं का पालन। उसके लाख समझाने पर, लाख कहने पर, हर विषय पर बोलने पर भी उसे उसके जीवन में रहते कोई नहीं समझ पाया और न ही समझना चाहता है। कोई विरला ही समझ पाता है। यही प्रथा है यहाँ की पिछले पांच सौ वर्षों से।

परिवर्तन इस पार्थिव संसार का अधिनियम है। it’s an inevitable law. nobody can deny change। युग का महापरिवर्तन चल रहा है और बहु-समाज इस परिवर्तन को न समझना चाहता है और न ही अपनाना चाहता है। बृहस्पति और शनि जैसे बड़े तारा ग्रह युग परिवर्तन को बड़ी तेजी से लागू करने के लिए waves और transmission पैदा कर रहे हैं और समाज को इस परिवर्तन के लिए तैयार होना होगा। जो कि चंद्रमा के माध्यम से चल रहा है। events तेज़ी से पृथ्वी जगत पर देखे जा सकेंगे और सब को इस लिए तैयार होना होगा।

सब तारामंडल द्वारा निर्मित और नियंत्रित खेल है इस माया जगत का। आज मेरी कही बातों को सब नकार रहे हैं, कोई मानने को तैयार नहीं हैं परन्तु कुछ spirits हैं जिन्हें पृथ्वी पर चल रहे खेल की समझ आ रही है। शैतानी और आसुरी ताकतें इस युग में इतनी क्रियाशील हैं कि जो उन ताकतों को तोड़ने की किसी भी रूप से प्रयत्न करता है ये ताकतें उसी के विरुद्ध system को खड़ा कर देती हैं। और ये कोई नई बात नहीं हैं। सदियों से होता आ रहा है।

इस जगत में जो कोई किसी भी रूप से बदलाव के लिए भेजा जाता है उसके जीवन के बारे में कई वर्षों बाद उसके जीवन उपरांत सब उसकी शिक्षायों, उसकी प्रतिभा और उसके जीवन से inspire होते हैं परंतु कितने उनको उनके रहते समझ पाए, जान पाए। मेरे जीवन में बड़ी भगद्वकृपा रही है और पिछले कुछ months से जो events हुए उनके चलते बड़ी गहरी सोच रही and specifically गुरुओं की जीवन यात्रा को और deeply देखने का अवसर मिला।

कैसा होगा जब जीसस के शिष्य उन्हें छोड़ कर चले गए, क्या सोच चल रही होगी जीसस के भीतर जब उनके गुरु जॉन को demon कहा गया और उनका सिर कलम कर दिया गया और जीसस को उनकी ही सूली स्वयं उठाकर भर बाजार में चलाया गया, और सूली को सज़ा दी दी गयी। क्योंकि उन्होंने कचहरी में सबके सामने कहा- I’m the son of god।
कैसा होगा महावीर स्वामी का जीवन जब उनकी पत्नी और बेटी छोड़ कर चली गईं, उनके घर वालों ने उन्हें घर छोड़ कर जाने को कहा।
कैसा रहा होगा शमस तबरेज़ का जीवन, जिसे रूमी से अथाह प्रेम था और केवल “I am that” कहने पर उनकी उल्टी चमड़ी उधेड़ दी गई।
कैसा होगा मंसूर का जीवन जिन्हें “अन-अल-हक़” (I am the truth) धार्मिक और राजनीतिक आरोपों पर लंबी अवधि के कारावास के बाद मार डाला गया। और उनके अधिकांश सूफी समकालीनों ने उनके कार्यों को अस्वीकार कर दिया।
कैसा होगी past में हुये उस परमहंस की जीवन यात्रा जिन्हें क्रियायोग की शिक्षायों और विधियों के लिए sacred hermaphrodite का tag दे दिया गया। sexuality पर सवाल उठाए गए। उनकी आध्यात्मिक उच्चता को न किसी ने कभी समझने की चेष्टा की और न ही समझना चाहा। क्योंकि ये संसार जो सुनना चाहता है वही सुनता है।
कैसी होगी जिद्दू कृष्णमूर्ति की पार्थिव यात्रा, जिन्हें भारतीय समाज ने उनके जीवन रहते कभी न समझा क्योंकि वह धर्म गुरुओं, धार्मिक संगठनों और स्थलों (temples & institutions), आध्यात्मिक विधियों के विरुद्ध बोलते रहे। जबकि उनकी training, madam blavatsky, madam annie besant जैसे okultists द्वारा की गई थी। परंतु जिद्दू ने फिर भी okult पर नहीं बोला क्योंकि वह जानते थे कि आज का संसार मानसिक है, बौद्धिक नहीं। फिर भी अपने कई वाक्तव्यों में सकेंत करते रहे हैं। क्योंकि आज कोई भी सनातन को कोई नहीं समझता, इसलिए मानव निर्मित धर्म स्थल, खिलौने मूर्तियाँ और बहु प्रचलित विधियाँ मान्य हैं। योग मर चुका है परंतु योगा प्रचलन में है।

(यह सब तथ्य इंटरनेट पर और पुस्तकों के माध्यम से उपलब्ध हैं)

तो मेरा जीवन भिन्न कैसे हो सकेगा?
लाख बोलने पर, बताने पर कोई सुनना नहीं चाहता। सब आध्यात्मिक शिक्षाएं पाते हैं, सुनते हैं कि you are god, god helps god, be a god, see god in everything। लेकिन यदि कोई कह दे I am that, चलो अब इसे मार दिया जाये, इससे नफरत की जाय, इसका विरोध किया जाय। कैसी मानसिक स्थिति है? can beings generate a sincere enquiry within one self that why is it like that towards the being who says “I am that”? why behavior towards all those had been same from centuries? why dont you do something for those who had built empires looting millions on the name of god, creating five-star spiritual organizations? why is this world like this- you say I’m that, you teach something which can free the beings, you do which one must learn & know of ? and beings are ready to kill!!!

हर युग की कहानी यही थी, यही रही और आज भी यही कहानी है। सब तारे चला रहे हैं मानवीय चेतना को और बड़ा खेल हैं यहाँ। यही मेरे साथ है। चिंता तो तब की जाय यदि कोई अनहोनी हो रही हो जो किसी के साथ न हुआ हो। यही तो होता आया है यहाँ। क्योंकि मैंने भी कहा और बोला, अब सितारे वही कहानी दोहराने जा रहे हैं। expecting a legal answer within days क्योंकि तारा दर्शा रहा है कि यह होने जा रहा है। न तो कभी किसी से कुछ मांगा, न चाहा लेकिन जीवन जीया और प्रेमपूर्ण जीया। परंतु किसी से कोई द्वेष नहीं, कोई कलह नहीं क्योंकि जो कल प्रेम में थे वे आज विरुद्ध हैं और जो आज विरुद्ध हैं वे कल पुनः प्रेम में होंगे। यही युग परिवर्तित है।

मायाधीन और कालवश सब बंधे हैं और जैसे तारे खेल रचने को सब को चला रहे हैं, वैसा वैसा चलेंगे। इसलिए इस विषय पर और कुछ नहीं कहा जा सकता। क्योंकि आज मेरी बातें किसी को नहीं समझ पड़ती, कोई नहीं सुनना चाहता परंतु कल सब स्वयं ही समझ जाने वाले हैं। द्वेष की सीमा हो न हो, परन्तु प्रेम की कोई सीमा नहीं होती, प्रेम असीम हैं। न कभी किसी को दोष दिया और न ही किसी का कोई दोष है। समय जिस स्थिति-परिस्थिति के माध्यम से परखना चाह रहा है, so let time test। मेरे प्रेम की परिकाष्ठा कभी कम न होगी। हृदय कभी क्रुद्ध न था और ना हीं होगा। गुरूओं के जीवन से यही सीखा। मध्य में खड़े रहना और देखना। प्रेम से भरा हृदय ही संतुष्ट हो सकता है। सब समयानुसार ही समझते हैं। समय बड़ा बलवान है। यदि इस मार्ग पर चलते मेरा भी यही भाग्य है, जोकि उपरोक्त गुरूओं का था तो ये भी accepted है। जो हरि इच्छा। कभी तो इस संसार के हृदय में कोमलता उत्पन्न होगी, प्रेम का बीज पनपेगा, कभी तो समझेंगे।

“तेरा कीया मीठा लागे”
“oh lord, sweet are your acts”